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Friday, December 12, 2008

चाय वाला लड़का

बात लगभग एक दशक पहले की है, रतलाम के दो बत्ती स्थित अपने छोटे से प्रशिक्षण संस्थान में एक दिन रतलाम कालेज के एक व्याख्याता अपनी व्याख्याता पत्नी के साथ किसी महत्वपूर्ण कार्य के सन्दर्भ में, मुझसे मिलने के लिये आये। कार्य के बारे में उनसे चर्चा के पश्चात्, मैंने उनसे चाय पीने का आग्रह करते हुए, पास ही स्थित एक चाय की दुकान पर चाय लाने का आदेश दिया।
कुछ की क्षणों पश्चात् एक लडका अत्यंत दयनीय हालत में चाय के गिलास लेकर उपस्थित हुआ। उसका शर्ट फटा हुआ था उसकी पेंट भी बुरी तरह से फटी हुई थी बल्कि वह चीथड़े लपेट कर आया था कहना ज्यादा ठीक होगा, अत्यंत बेतरतीब गंदे व लंबे बाल, नाखूनों में काला-काला मैल, नंगे पैर, उसे नहा कर लगभग एक-आध महिना तो निश्चित ही हुआ होगा, इस प्रकार का स्वरूप लिये उस लडके ने वहां आकर चाय के गिलास हमारे सामने टेबल पर रख दिये।
मेरे साथ उस कमरे में बैठे सभी लोगों का ध्यान बरबस ही इस घटना की और चला गया। एक क्षण विशेष के लिये मुझे काटो तो खून नहीं वाली स्थिति का सामना करना पडा। मेरे छोटे से आफिस का तथाकथित डेकोरम धडाम से नीचे गिर गया था। मुझे ऐसा लगा आज क्यों मैंने चाय के लिये इस दुकान पर आदेश दिया? पर अब तक जो होना था वह तो हो चुका था।
जैसे तैसे हम सभी ने चुपचाप अपनी-अपनी चाय खत्म की। मेरी स्थिति को समते हुए बिना किसी और बात को आगे बढाये मुझे और शर्मिंदा होने से बचाने के लिये प्रोफेसर साहब अपनी पत्नी के साथ वहां से विदा हो गये।
उनके जाने के पश्चात् मैंने तुरंत उस होटल मालिक के पास जाकर उसे समझाया की अब भविष्य में इस प्रकार से चाय मत भेजना। अन्यथा तुम्हारे होटल की चाय बिकना बंद हो जावेगी। होटल मालिक ने मुझसे कहा आप बिलकुल ठीक कहते हैं परंतु मेरे यहाँ हर सप्ताह नया नौकर आ जाता है इन्हें कैसे समझाया जावे। फिर भी होटल मालिक और उस लडके को ग्राहक के सामने चाय को कैसे पेश किया जावे उसके प्रस्तुतिकरण का तरीका समझाया।
होटल मालिक से बातचीत के दौरान मुझे ज्ञात हुआ की ये लडके लगभग 50 रूपये रोज में मिल जाते हैं उन्हें दिन में तीन बार नाश्ता और चार- पॉँच बार चाय मुफ्त में मिल जाती है रात को दुकान के बाहरी ओटले पर सोने को मिल जाता है बस उसमें ये खुश हो जाते हैं।
उसी दिन दोपहर के भोजन के पश्चात् अपने घर से लौटते समय एक जोडी पुराने कपडे लाकर उस लडके को दिये। उस लडके को पास ही एक नाई की दुकान पर ले जाकर जेंटलमैन बनाया। वहीं की एक किराना दुकान से साबुन और एक कंघी दिलवाकर उसे एक सार्वजानिक नल पर नहाने भेजा।
शाम तक सफेद रंग का फ्री साइज़ का एक लंबा एप्रन सिलवाकर होटल के मालिक को यह कहते हुए दिया कि जब भी लडके को आस-पास चाय देने भेजो तो उसे कम से कम यह एप्रन जरूर पहना देना। इतना कह कर मैं अपने प्रशिक्षण संस्थान लौट आया।
अगले दिन मैं सुवह की कक्षाएं लेने के पश्चात् सामने बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ रहा था तभी वह लडका बिना आर्डर के एक चाय लेकर मेरे पास आया और बोला लीजिये आपकी चाय। मैंने उसकी ओर देखा वही लडका, नहाने के बाद एप्रन पहन कर, बडा स्मार्ट सा बन कर मेरे लिये चाय लेकर आया था। मैंने कहा भाई मैंने तो चाय का आर्डर ही नहीं दिया था?
उस लडके ने कहा तो क्या हुआ सुबह चाय तो पी सकते हैं। मैंने सोचा चलो ठीक है अब ये ले ही आया है तो पी लेते हैं चाय की चुस्कियों के साथ मैं भी अखबार पढने लग गया। वह लडका कब चला गया पता ही नहीं चला।
कुछ देर के पश्चात् वह गिलास वापस लेने आया तो मैंने हमेशा की तरह अपना पर्स निकालकर उसकी और चाय के पैसे बढ़ाये परंतु उसने चाय के पैसे लेने से मना कर दिया, और कहा बाबूजी ये चाय मेरी तरफ से थी मैं अपनी रोजी में से इसके पैसे कटवा दूंगा।
अब मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, ऐसा तो मैंने सोचा ही नहीं था। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन उसने पैसे नहीं लिये।
आज मैं अपना कार्यालय किसी अन्य स्थान पर चला रहा हूँ परंतु जब भी कभी उस पुरानी जगह पर जाता हूँ वही लडका जो खुद अब एक चाय की दुकान का मालिक है बडी साफ सुथरे तरीके से रहते हुए मुझे अब भी याद करता है। और अब उसके यहाँ जो लडके काम करते हैं उनका पूरा ध्यान भी वही रखता है।
कभी कभी हमारे व्दारा बताई गई छोटी सी बात भी किसी अन्य के जीवन में कितना बडा काम कर सकती है यह इसका एक साक्षात उदाहरण है।



4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

रवि रतलामी said...

प्रेरक प्रसंग.
आपके एक छोटे से कदम ने इस व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन ला दिया.

पद्म सिंह said...

कभी कभी हमारे व्दारा बताई गई छोटी सी बात भी किसी अन्य के जीवन में कितना बडा काम कर सकती है यह इसका एक साक्षात उदाहरण है।
.....आपने आफिस के डेकोरम बनाए रखने के लिए ऐसा किया या फिर सहानुभूति वश ... लेकिन आपने जो कुछ भी किया वो प्रशंसनीय और अनुकरणीय है ...