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Sunday, January 31, 2016

सब्जीमंडी की समस्याएं, संभावनाएं और हमारे प्रयत्न

सब्जीमंडी की समस्याएं, संभावनाएं और हमारे प्रयत्न
रतलाम शहर के विकास हेतु जनसामान्य व्दारा की गई एक सकारात्मक पहल

किसी भी शहर में सार्वजनिक व्यवस्थाओं को लेकर समस्याएं होना एक अत्यंत सामान्य सी बात है, लेकिन उन सभी समस्याओं में से किसी एक समस्या विशेष को लेकर उसके सभी पहलुओं को जानने के लिये शहर के जागरूक नागरिकों व्दारा सर्वे किया जाना, समस्या का बारीकि से अध्ययन करना एवं उसकी एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर शासन को दिया जाना इस सकारात्मक पहल को विशेष बनाता है।
रतलाम के नागरिकों व्दारा शहर में लगने वाली सब्जी मंडियों को लेकर एक सर्वे किया गया। इस सर्वे को करने के दौरान ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है कि बहुत सारी समस्याओं के बीच में अंर्तसंबंध होता है। अगर एक समस्या विशेष को लक्ष्य बनाकर उसको जड से ठीक करने का प्रयत्न किया जाये तो दूसरी बहुत सारी समस्याएं जो उस पर निर्भर करती हैं अपने आप ही सुलझ जायेंगी। अगर शहर में व्यवस्थित सब्जी मंडियों का निर्माण हो जाता है तो इसका सीधा संबंध सफाई व्यवस्था, आवारा पशु, ट्राफिक जाम, भीड नियंत्रण, अवैध वसूली, ईंधन खपत, प्रदूषण व इससे संबंधित अन्य कई समस्याओं समेत इनका सीधा ही निराकरण हो जायेगा।
अभी कुछ दिनों पहले आपने विभिन्न समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों पर निश्चित रूप से देखा होगा कि दक्षिण भारत के प्रमुख शहर चैन्नई में प्राकृतिक आपदा ‘बाढ़‘ के रूप में आने के बाद चैन्नई शहर का क्या हाल हुआ। अत्यंत सामान्य बुद्धि रखने वाला व्यक्ति भी बता सकता है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, लोक निर्माण विभाग और नगर निगम जैसे सार्वजनिक व्यवस्थाओं को दिशा देने वाले विभाग इस शहर में ड्रेनेज और प्लानिंग में फेल हो गये। इससे सबक लेते हुए यदि हम हमारे रतलाम शहर के विकास को सही दिशा दे सके तो आने वाली पीढियाॅं निश्चित रूप से हमारी आभारी रहेंगी।
हमारा आप सभी से विशेष आग्रह है कि इस रिपोर्ट को पढने के साथ-साथ अगर कम्प्यूटर-इंटरनेट-गूगल अर्थ के उपयोग से रतलाम शहर का सूक्ष्म अध्ययन करें तो हम पायेंगे कि बीते कुछ वर्षों में रतलाम शहर अत्यंत बेतरतीब तरीके से चारों दिशाओं में बढता जा रहा है। इसके उपरांत भी अगर हमारे शहर को बचाने का प्रयत्न किया जाये तो भी गलतियों के दुष्परिणामों को कम किया जा सकता है।
आज के रतलाम को रेल्वे लाईन दो हिस्सों में बांटती है। इसलिये पुराना रतलाम व पटरी पार का नया रतलाम के बारे में हमें अलग अलग सोचना होगा। इस बारे में किसी भी निर्णय पर पहुॅंचने के पहले हमें वर्तमान में कितनी सब्जी मंडियाॅं है व उनमें क्या समस्याएं है उन पर विचार करना होगा। वर्तमान सब्जी मंडियों के नाम व स्थान इस प्रकार हैं।

  • माणकचौक सब्जीमंडी
  • कसारा बाजार सब्जीमंडी
  • बाजना बस स्टेंड सब्जीमंडी।
  • नीमचैक सब्जीमंडी
  • हरदेवलाला सब्जीमंडी
  • आबकारी चौराहा सब्जीमंडी
  • काटजू नगर ओवरब्रिज के नीचे
  • बैंक काॅलोनी महलवाडा सब्जीमंडी
  • पैलेस रोड पर
  • थावरिया बाजार क्षेत्र
  • घांस बाजार सब्जीमंडी
  • शिक्षा विभाग कार्यालय के पास
  • राम मंदिर क्षेत्र में लगने वाली सब्जीमंडी
  • कस्तुरबा नगर मेन रोड सब्जीमंडी
  • इंदिरा नगर तिराहे पर सब्जीमंडी
  • गांधी नगर क्षेत्र सब्जीमंडी
  • रेल्वे हाॅस्पीटल क्षेत्र सब्जीमंडी
  • रेल्वे काॅलोनी मेन रोड जूनियर स्टेडियम
  • डाट की पुल रोड पर
  • जावरा फाटक के पार
  • टी.आय.टी. रोड पर
  • स्टेडीयम के पास सब्जीमंडी
व अन्य कई स्थानों पर सब्जी को बिकते देखा जा सकता है।

इन सभी सब्जी मंडीयों के नाम जानने के बाद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि व्यवस्थित प्लानिंग के साथ बनाई गई एकमात्र, ऐतिहासिक माणकचौक स्थित सब्जीमंडी ही वैध है उल्लेखनीय है कि माणकचौक सब्जीमंडी उस समय की जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाई गई थी बाकि की लगभग सारी सब्जीमंडियाॅं अवैध होकर सड़क पर लगा ली जाती हैं। आज की तिथि में किसी भी शासकीय विभाग का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।
रतलाम शहर में रहने वाले 100 प्रतिशत परिवार लगभग प्रतिदिन या हर दूसरे दिन सब्जी खरीदते हैं। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी नौकरी या व्यवसाय से जुडा है अपने परिवार के लिये सब्जी जरूर लेता है। लेकिन यह जानकर अत्यंत आश्चर्य हुआ कि राजाओं के जमाने से चली आ रही माणकचौक सब्जीमंडी के बाद आज तक किसी अन्य फुटकर सब्जी मंडी के बनाने को लेकर कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया गया। इसलिये संपूर्ण शहर को सब्जीमंडी में बदलने से रोकने, सभी वैध-अवैध सब्जी मंडियों की व्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन करने, सुधार करने के दृष्टिकोण से, जागरूक नागरिकों व्दारा स्थानीय प्रशासन को एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट के माध्यम से सुझाव देने का निर्णय लिया गया। जिससे सब्जीमंडी के मामले में अपने शहर को वास्तविकता में अमृत-स्मार्ट सिटी के रूप में बदलता हुआ देखा जा सके।
खाद्य विभाग के नियंत्रण की चिंता किये बिना किसी भी व्यक्ति को सब्जी बेचना है तो वो कहीं पर भी किसी भी स्थिति में बेच सकता है उन स्थितियों में उसे सब्जी खरीदने वाले ग्राहक भी मिल जाते हैं। कहीं सड़क पर, किसी नाली के पास, किसी गंदगी के ढेर के पास, भिनभिनाती मक्खियों, मच्छरों के मधुर संगीत के साथ, मनुष्यों के साथ-साथ गाय, सांड, कुत्ते भी इस सड़क पर बनी सब्जीमंडी में आपका स्वागत करते दिखाई देते हैं।
अत्यंत महत्वपूर्ण व प्रत्येक परिवार की दैनिक आवश्यकता को पूर्ण करने वाली सब्जी मंडियां कहॉं और किन सुविधाओं के साथ होना चाहिये? इस संदर्भ में नागरिकों व सब्जी विक्रेताओं की क्या अपेक्षाएं है इस बारे में जानकारी एकत्र करने का प्रयत्न किया गया। सारी जानकारी एकत्रिकरण करने वाले स्वप्रेरित कार्यकर्ता किसी व्यावसायिक सर्वे टीम की तरह कार्य शायद न कर सकें हो परंतु उदेश्य स्पष्ट व सकारात्मक था। रतलाम शहर में इस प्रकार का सर्वे करने का शायद यह पहला प्रयास था जिसमें सोशल मीडिया का भी भरपूर उपयोग किया गया। सामान्य नागरिकों ने भी इस प्रयास के लिये जोरदार समर्थन देते हुए सोशल मीडिया पर इसे हाथोहाथ लिया। जिसमें हमने दिनांक 31 जनवरी 2016 तक फोनकाॅल-व्यग्तिगत भेट-वॉट्सअप-ईमेल आदि के माध्यम से सुझाव प्राप्त किये। सभी प्राप्त सुझावों को संकलित-संपादित कर यह फायनल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई गई है। संपूर्ण शहर को इस अव्यवस्था व गंदगी से बचाने के लिये निम्न बिंदुओं पर विचार किया जाना चाहिये।

रतलाम शहर में सब्जी मंडियों की व्यवस्था में सुधार के लिये, आने वाले 50 वर्षों की प्लानिंग को ध्यान में रखते हुए नागरिकों, व्यापारियों के व्दारा बताये गये महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं।
  1.  शहर के मध्य में वर्षों से रिक्त पडे बडे-बडे निजी/शासकीय भूखण्डों को शहर के हित में अधिग्रहित किया जाना चाहिये। इंटरनेट पर गूगल अर्थ की मदद से हमें रतलाम शहर की वर्तमान बसाहट का सूक्ष्म अध्ययन कर, शहर को सात-आठ प्रमुख झोन में बांटते हुए जनसंख्या के घनत्व को ध्यान में रखते हुए, बडे-बडे रिक्त भूखण्डों को चिन्हित करना होगा। इसके साथ ही कुछ ऐसे स्थान जैसे जिला जेल, सर्किट हाउस को शहर से बाहर बनाकर उस स्थान का ज्यादा उपयोग ध्यान में रखते हुए नया निर्माण करना होगा।
  2. सब्जीमंडी के निर्माण के लिये किसी क्रियेटिव आर्किटेक्ट की सलाह लेकर यहाॅं की आवश्यकताओं की बारीकियों को समझते हुए निर्माण कार्य किया जाये। हर मौसम जैसे गर्मी, ठंड, बारिश, कीचड़ गंदगी, पानी की निकासी, सुरक्षा, पार्किंग, इमरजेंसी एक्झिट आदि बातों का ध्यान रखा जाये। निर्माण के पहले क्षेत्रवासियों व सबंधित व्यापारियों को प्रोजेक्टर या थ्रीडी माॅडल के माध्यम से प्लान समझाया जाये।
  3. सब्जी व्यवसाय से जुडे सभी प्रकार के व्यापारियों जैसे थोक, फुटकर, गली गली घूमने वाले हाॅकर आदि को अनिवार्यतः परिचय पत्र दिया जाकर उनकी नाम,पता, मोबाईल, आर्थिक स्थिति आदि सूचनाओं को संकलित कर सूचि बनाई जाये। जिससे उन सभी को सामुहिक रूप से इस व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिये संबोधित, प्रेरित, संगठित, निंयत्रित किया जा सके
  4. शहर के आसपास के कितने गाॅंवों से सब्जियाॅं यहाॅं आती हैं उस आधार पर उसी क्षेत्र को ध्यान में रखकर नई सब्जीमंडियों का निर्माण किया जाये।
  5. इस व्यवसाय से जुडे सभी हाॅकरों की संख्या, थोक व्यापारियों की संख्या को ध्यान में रखकर टीनशेड वाले ओटले/प्लेटफार्म का निर्माण शहर में 8-10 स्थानों पर किया जाये।
  6. व्यस्ततम बाजार क्षेत्र को हाॅकर मुक्त झोन बनाया जाये और सभी सब्जी मंडियों को शहर की घनी बस्ती से थोडा बाहर की और ले जाना श्रेयस्कर होगा। यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं की जहाॅं सोना, साडी, पुस्तकें, रंगरोगन, बर्तन आदि बिकते हों वहीं पर सब्जी भी बिके। अर्थात चांदनीचौक, नीमचौक, धानमंडी, घांस बाजार, कसारा बाजार, राममंदिर क्षेत्र जैसे स्थानों पर अवैध सब्जीबाजार नहीं होना चाहिये।
  7. सब्जी मंडी से निकलने वाले खाद्य कचरे को पांजरापोल में पशुओं तक पहुॅंचाने की व्यवस्था होे। इसका उपयोग प्राकृतिक, जैविक खाद आदि के निर्माण में भी किया जा सकता है।
  8. व्यस्त बाजार में दुकानों के सामने सरकारी फुटपाथ के उपयोग पर व्यापारियों के व्दारा सब्जीवालों से अवैध किराया वसूल करने की शिकायतें मिली हैं व्यस्त बाजार से हट जाने पर यह शोषण अपने आप ही बंद हो जायेगा।
  9. शहर में कितने स्थानों पर वैध सब्जीमंडीयाॅं हैं उनकी लिस्ट को सार्वजनिक किया जाये इसके अलावा की सभी स्थानों पर बिकने वाली जगहों को अवैध सब्जी बाजार मानते हुए ऐसे विक्रेताओं पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाये।
  10. सब्जियों के विभिन्न प्रकार जैसे आलु-प्याज वाले, फल वाले, हरी सब्जियाॅं बेचने वाले को ध्यान में रखकर उनके बैठक की व्यवस्था की जाये। ठेले वालों की लाईन अलग होना चाहिये।
  11. आय बढाने के लिये मंडी में एंट्री का 1 रूपये का यूजर चार्जेस होना चाहिये जिसका उपयोग भविष्य में उसी सब्जीमंडी के विकास में किया जा सके। शासन को इससे वर्तमान में कितना रेवेन्यु मिलता है इसे सार्वजनिक किया जाये। नागरिकों में सिविक सेंस बढाने के लिये स्वच्छ सब्जी मंडी के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा।
  12. व्यवस्थित बाउंड्रीवाॅल वाली सब्जीमंडियों का निर्माण किया जाये जिससे मंडी के अंदर दोपहिया वाहन व आवारा पशुओं पर रोक लग सके। जिससे स्कूटर पर बैठे-बैठे सब्जी खरीदने के रतलामी चलन को सख्ती से रोका जा सकेगा। ग्राहकों के लिये पार्किंग आदि की व्यवस्था हो।
  13. ग्राहकों व विक्रेताओं को पीने के निःशुल्क स्वच्छ पानी व स्वच्छ कैंटीन आदि की व्यवस्था हो।
  14. महिलाओं व पुरूषों के लिये सार्वजनिक सुविधाघरों का निर्माण भी आवश्यक रूप से होना चाहिये।
  15. देर शाम तक सब्जीमंडी में व्यापार संभव हो इसके लिये उचित प्रकाश व्यवस्था होना चाहिये। 
  16. सब्जीमंडीयों में जगह जगह डस्टबिन हों और हर आधे घंटे में कचरा उठाने की व्यवस्था हो जिससे गंदगी, बदबू पर रोक लग सके। ग्राहकों के पैरों के नीचे सब्जियों के अवशेष, गंदगी, कीचड न होकर उन्हें किसी शापिंग माॅल जैसा इफेक्ट दिया जा सके।
  17. अगर व्यवस्थित सब्जीमंडियाॅं बन जाती हैं तो इससे यातायात, गंदगी, भीड नियंत्रण आदि बहुत सारी व्यवस्थाओं पर पर सीधा असर पडेगा। ट्राफिक जाम नहीं होगा।
  18. यहाॅं प्रतिदिन लाखों रूपयों का कारोबार होता है सुरक्षा कर्मियों की व्यवस्था हो। 360 डिग्री वाले टीटीझेड केमरों की व्यवस्था हो।
  19. मंडी के अंदर सब्जियों को बेतरतीब तरीके से बेचने व सामानों के व्दारा अस्थायी, तात्कालिक अतिक्रमण पर सख्त कार्यवाही होती रहे। इसके लिये विदेशों में सब्जीमंडी की व्यवस्थाएं इंटरनेट पर देखी जा सकती हैं। अगर वो कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
  20. एक कृषक भवन बनाया जाकर उसमें लाॅकर जैसी व्यवस्था हो जिसमें अत्यंत छोटे दुकानदारों को तराजु , बाट व कुछ खाली टोपले आदि रखने की व्यवस्था हो जिससे उन्हें रोज रोज अपने गाॅंव से सामान उठाकर न लाना पडे।
  21. सब्जीमंडी में प्लास्टिक बैग पर पूर्ण व सख्त रोक लगे, एक दुकान भी अनिवार्यतः कपडे की थैलियाँ आदि उपलब्ध कराने वाली आवंटित की जाये।
  22. शहर के हित में विभिन्न आर्थिक संस्थानों व्दारा अत्यंत कम या नगण्य ब्याज पर इन छोटे व्यवसाईयों को ठेलागाडी लोन, छोटी पूंजी आदि सुलभ तरीके से दिया जाये।
  23. मोबाईल सब्जीमंडियों को बढावा देने हेतु छोटे केरियर वाहन के उपयोग को प्रोत्साहित करें। इससे दूरदराज की काॅलानियों में भी नागरिकों को सब्जी उपलब्ध हो सके।
  24. नई काॅलोनी बनाने वाले काॅलोनाईझरों को अनुमति देने से पूर्व वहाॅं के रहवासियों की सार्वजनिक, दैनिक आवश्यताओं पर क्या व्यवस्था होनी चाहिये इस पर भी विचार हो।



नई सब्जीमंडीयों के निर्माण के लिये जनता व्दारा विभिन्न स्थानों का सुझाव।

उपरोक्त सभी तथ्यों पर विचार करने के पश्चात नई सब्जीमंडियाॅं कहाॅं पर होना चाहिये इसके लिये विभिन्न सुझाव प्राप्त हुए हैं।
1    अमृत सागर बगीचे के सामने रिक्त भूमि पर एक बहुत बढिया आधुनिक सब्जीमंडी बनाई जा सकती है। जिससे एक बहुत बडे, घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की लंबे समय से होने वाली मंाग को पूर्ण किया जा सकता है एवं चांदनीचौक, कसारा बाजार, लक्कडपीठा क्षेत्र में यातायात, स्वच्छता में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
2    सागोद रोड पर जैन स्कूल के पीछे रिक्त भूमि पर भी व्यवस्थित बडी सब्जीमंडी बनाई जा सकती है इससे इस क्षेत्र के नागरिकों को सुविधा देने के साथ साथ नीमचौक व आसपास के मेन रोड वाले क्षेत्र को गंदगी मुक्त किया जा सकेगा।
3    सैलाना बस स्टेंड स्थित मंडी में विश्व स्तरीय व्यवस्था की जा सकती है जिससे वेदव्यास काॅलोनी, काटजू नगर, पत्रकार काॅलोनी, शास्त्री नगर, न्यू रोड, लोकेंद्र टाॅकिज, शहर सराय आदि क्षेत्र के नागरिकों को सुविधा दी जा सके। सिविक सेंटर के पीछे रिक्त भूमि पर भी एक बडी सार्वजनिक सब्जीमंडी बनाई जा सकती है।
4    सैलाना बस स्टेंड से राममंदिर की और जाने वाले ओवरब्रिज के नीचे रेल्वे लाईन के दोनों तरफ भी आसपास के क्षेत्र अर्थात काटजू नगर व पटरी पार कस्तुरबा व जवाहर नगर के लिये उपयुक्त सब्जी मंडी बनाई जा सकती है।
5    राजस्व काॅलोनी व विद्युत मंडल कार्यालय के बीच का हिस्सा अर्थात गोमदडे की पुलिया वाला रिक्त भूभाग भी उपयोग में लिया जा सकता है।
6    न्यू रोड के पीछे की ओर साइंस एंड आर्ट्स काॅलेज से लगे रिक्त भूखंड पर भी इसके लिये प्लानिंग की जा सकती है।
7    आंबेडकर भवन के पास रिक्त बडे भूखंड पर भी इस संपूर्ण क्षेत्र को ध्यान में रखकर इसका उपयोग बहुत बडी आधुनिक सब्जीमंडी, पार्किंग आदि के लिये किया जा सकता है। सर्वविदित है कि सब्जीमंडी दैनिक आवश्यकता है धार्मिक व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों को शहर से बाहर पांडालों की व्यवस्था की जा सकती है।
8    वर्तमान सर्किट हाउस को शहर से बाहर दूर बनाकर उस स्थान पर भी एक बडा मार्केट आदि बनाया जा सकता है। जिससे वी.आय.पी. मूवमेंट में भी नागरिकों को सुरक्षा के नाम पर होने वाली असुविधा से बचाया जा सकेगा।
9    टी.आय.टी. रोड पर लगने वाली सब्जी मंडी को इसी स्थान पर बने शासकीय औषधालय वाले भवन को पुर्ननिर्माण कर भूतल पर पक्की नई सब्जीमंडी व प्रथम तल पर शासकीय औषधालय आदि लगाया जा सकता है।
10    नगर निगम के वर्तमान कार्यालय को महू रोड़ पर नये बनने वाले कलेक्टोरेट भवन के आसपास किसी अन्य स्थान पर ले जाया जाकर वर्तमान नगर निगम वाले स्थान पर भी बडा व्यावसायिक मार्केट बनाया जा सकता है। जिससे महलवाडा परिसर व आसपास के बडे रहवासी क्षेत्र को स्थायी समाधान दिया जा सकता है।
11    जिला जेल भवन को भी शहर से बाहर बनाकर उस स्थान का उपयोग सार्वजनिक हित के किसी अन्य आवश्यक कार्य में किया जाना नागरिकों के हित में होगा।
12    रेल्वे लाईन के दूसरी ओर जवाहर नगर में इंडियन आॅयल के पुराने डिपो व इसके आसपास पडी रिक्त भूमि पर भी इस संपूर्ण क्षेत्र को ध्यान में रखकर बडी आधुनिक सब्जीमंडी बनाई जा सकती है। इससे राम मंदिर क्षेत्र , फोरलेन, डाट की पुल, रेल्वे काॅलोनी मेन रोड़ पर यातायात का दबाव भी कम किया जा सकेगा।
13    इसके अलावा संपूर्ण शहर के मध्य में जितने भी बडे-बडे भूखण्ड कई वर्षों से रिक्त अवस्था में पडे हैं उनको अधिग्रहित कर उपयोग में लिया जाना जन-सामान्य नागरिकों के हित में होगा।
14    चौडावास(रामगढ़), गढ़कैलाश (अमृतसागर), महलवाडा के अंदर मैदान में, त्रिवेणी ग्राउंड, बिरियाखेडी, 80 फीट रोड़, बड़बड़ के आसपास वाला क्षेत्र आदि स्थानों के बारे में भी सुझाव आये हैं।
इस संपूर्ण प्रक्रिया का उदेश्य हमारे नेतृत्व को इस बारे में गंभीर विचार के लिये प्रोत्साहित कर इसे वास्तविकता में साकार करना है।

रतलाम की जनता की ओर से जनता को समर्पित


संकलनकर्ता:- अनिल पेंडसे 525 काटजू नगर रतलाम
मो. 9425103895 Anil.Pendse.Rtm@gmail.com