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Sunday, September 2, 2018

रतलाम — नई यातायात व्यवस्था के विरोध में व्यापारियों व स्कूल प्रबंधन के कमजोर तर्क(02/09/2018)

रतलाम — नई यातायात व्यवस्था के विरोध में व्यापारियों व स्कूल प्रबंधन के कमजोर तर्क(02/09/2018)

रतलाम शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रयास चल रहे हैं इन्हीं नये प्रयासों में सैलाना बस स्टेंड से लोकेन्द्र सिनेमा व शहर सराय से गायत्री सिनेमा रोड़ को वन वे बनाने का विरोध आज के समाचार पत्रों में दिखाई दे रहा है। इसमें बताया गया है कि व्यापार सिर्फ 10 प्रतिशत ही रह गया है।  वन वे होने से व्यापार इतना कम हो जाना गले नहीं उतरता। व्यवसाय करने के साथ—साथ, शहर की नई यातायात व्यवस्थाओं में सहयोग देना भी व्यापारिओं/नागरिकों का कर्तव्य है। हमेशा देखने में आता है कि अव्यवस्थाओं का दोष पूर्णत: प्रशासन को दिया जाता है। अब जब प्रशासन यातायात व्यवस्था सुधारने के लिये ​कुछ नई व्यवस्थाएं लागू कर रहा है तो इस प्रकार का अतार्किक विरोध रतलाम को पुन: वहीं ले जायेगा जहां हम सालों पहले थे।

इसी प्रकार से यातायात व्यवस्था में सहयोग के स्थान पर स्कूलों के द्वारा हाथ झटक कला का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। अगर आपके परिसर में हजारों बच्चे आ रहे हैं तो उनकी व्यवस्था स्कूल परिसर के अंदर व बाहर करना भी स्कूल प्रबंधन का ही दायित्व है। इस प्रकार का लचर तर्क नहीं चल सकता कि ''आॅटो बच्चों के परिजन निजी रूप से करके भेजते हैं इसमें स्कूल वालों का कोई लेना देना नहीं है''
ऐसे तो मैरिज गार्डन वाले, शॉपिंग मॉल वाले, अन्य व्यापारी सभी अपने हाथ झटक लेंगे कि ''ग्राहक तो निजी वाहन से आये हैं। हम क्या करें?'' ऐसा असहयोगात्मक व्यवहार स्वीकार्य नहीं होना चाहिये। विशेषकर शहर के आंतरिक हिस्सों में चल रहे स्कूलों को आने वाले वाहनों जैसे आॅटो को तो परिसर के अंदर स्थान देना ही होगा। प्रशासन को पूर्ण सख्ती से इस प्रकार के रवैय्ये से निपटना चाहिये।
गुजराती समाज स्कूल के प्रबंधन की प्रशंसा की जानी चाहिये कि उन्होंने संबंधित वाहनों को अपने परिसर में व्यस्थित पार्किंग देकर बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए एक आदर्श प्रस्तुत किया है।

 









अनिल पेंडसे,रतलाम 9425103895
Anil.Pendse.Rtm@gmail.com