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Thursday, July 2, 2015

गाजरघांस

गाजरघांस
अक्सर मैं सुबह घूमने जाता हूॅं। हमारे काटजू नगर कॉलोनी की बसाहट बहुत ही शानदार है। एक—दो बडे राउण्ड सवेरे—सवेरे घूमकर अच्छा लगता है। इसी दौरान बरबस ही बहुत सारी बातें ध्यान में आती हैं उन्हीं को आप के साथ शेअर करना चाहता हूॅं। मैंने देखा एक घर के मुख्य प्रवेश व्दार पर गाजर घांस भरपूर मात्रा में उगी हुई है उनके अपने निजी बगीचे,आॅंगन में भी गाजरघास देखी जा सकती है। जिस प्रवेश व्दार से उस परिवार के सभी सदस्य दिनभर आवाजाही करते हैं उनके अपने घर के बाहर गंदगी बिखरी पडी है जबकि घर को देखने से प्रतीत होता है अच्छे समृद्ध परिवार से हैं घर के सामने चारपहिया गाडी खडी है। दो—तीन दोपहिया वाहन भी हैं। लेकिन क्या इनके पास इतना भी समय नहीं कि ये अपने स्वयं के घर के प्रवेश द्वार के मध्य में लगी गाजरघांस हटा सकें? क्या इतने छोटे से कार्य के लिये भी ये नगर निगम पर निर्भर रहेंगे?  चलो मान लिया कोई बडा मैदान या पडोस का संपूर्ण प्लॉट ही खाली पडा है और उसकी सफाई नहीं हो रही है वहॉं तक तो ठीक। हद हो गई है अनदेखी और आलसीपने की।




Sunday, June 28, 2015

रतलाम :— हॉं, मैं भी सब्जीवालों के समर्थन में हूॅं।

रतलाम :— हॉं, मैं भी सब्जीवालों के समर्थन में हूॅं। आखिर बार—बार फुटबॉल की तरह तोपखाना क्षेत्र से उठाकर काशीनाथ के नोहरे की गंदगी में स्थानांतरित करना, वो भी बिना सुविधा के कहॉं तक उचित है?  क्या काशीनाथ के नोहरे में सब्जी बेचने लायक सुविधाएं उपलब्ध हैं? आप स्वयं देखें चारों तरफ रहवासी क्षेत्र का गंदा सा पिछवाडा, भरपूर अतिक्रमण, आने जाने के लिये केवल एक संकरा सा रास्ता, आखिर सब्जी कैसे बेची जा सकती है यहॉं पर?
आप सभी वर्क एनवायरमेंट शब्द से परिचित होंगे अर्थात कार्य करने की जगह का वातावरण। चाहे वह सब्जी बेचने का कार्य हो या कलेक्टर का आॅफिस हो। साफ सुथरी, सुविधाओं से परिपूर्ण व्यवस्था हो तो विरोध का कोई कारण ही नहीं होगा।
काशीनाथ के नोहरे में होना क्या चाहिये —

  • सब्जी बेचने के लिये सड़क से 1½ फीट उॅंचे और 6'x6' फीट के, स्टेडियम की सीढ़ीनुमा छोटे—छोटे ओटले होना चाहिए जिस पर सब्जियों को सजाकर रखा जा सके और विक्रेता मध्य में बैठ सके।
  • सड़क के दोनों और कतारबद्ध, सुंदरता से परिपूर्ण ओटलों का निर्माण किया जाना चाहिए।
  • ओटले पर गर्मी व बरसात आदि से बचाने के लिए तिरपाल लगाने हेतु चारों कोने पर रिमुएबल पाईप आदि लगाने की व्यवस्था हो।
  • दो ओटलों के बीच कम से कम पांच फीट की दूरी हो।
  • धानमंडी की तरफ से भी चौडा रास्ता हो।
  • ग्राहकों के वाहनों हेतु पार्किंग की समुचित व्यवस्था हो।
  • पानी के लिये एक या दो हैंडपंप की व्यवस्था हो।
  • हर दिन ''तीन बार नियमित सफाई'' की व्यवस्था हो।
  • आवारा पशुओं व वाहनों की रोक के लिए दोनों छोर पर माणकचौक सब्जी मंडी जैसा गेट आदि हो।
  • अतिक्रमण को पूरी ताकत के साथ हटाया जाये।

 केवल डंडे के दम पर इधर उधर ढकेलने से नहीं वरन विवेकपूर्ण तरीके से उचित सुविधा के साथ स्थानांतरित किया जाता है तो ग्राहकों के साथ—साथ ये छोटे—छोटे व्यवसायी स्वयं ही प्रशासन को सहयोग करेंगे।
आज की जनसंख्या के आधार पर संपूर्ण रतलाम में कितनी सब्जी मंडियॉं होना चाहिये? उनका स्थान कहॉं होना चाहिये? क्या भीड़भाड और यातायात को नियंत्रित करने में कोई अधिकारी इसका महत्व समझेगा? क्या इस प्रकार का कोई सर्वे प्रशासन की ओर से किये जाने का कोई प्रावधान है? क्या नागरिकों से उनकी अपेक्षाओं को जानने की कोई प्रशासनिक व्यवस्था है? क्या कोई अधिकारी समग्र रूप से इस संपूर्ण रतलाम की सब्जी बेचने की व्यवस्था को नियमित कराने के लिये स्वयं प्रेरणा लेकर कोई ठोस एवं स्थायी कार्य योजना बना सकता है? जिससे इन छोटे व्यवसायियों का फुटबॉल बनने से रोका जा सके।
रतलाम के सर्वांगीण विकास के लिये प्रतिबद्ध, शुभकामनाओं के साथ!!

अनिल पेंडसे, रतलाम 9425103895