श्रीमान जिलाधीश महोदय,
रतलाम (म.प्र.) 457001
31/07/2021
विषय :- बाल चिकित्सालय में चल रहे निर्माण कार्य के संदर्भ में |
श्रीमान,
निवेदन है कि वर्तमान में बाल चिकित्सालय में निर्माण कार्य चल रहा है एवं चिकित्सालय के बाहरी परिसर से संबंधित कार्य प्रगति पर है उसी संदर्भ में निम्नलिखित सुझाव आपके समक्ष ध्यानाकर्षण हेतु रखना चाहता हूँ
1- बाल चिकित्सालय के पास से GPO रोड़ से शास्त्री नगर कॉलोनी को जाने वाला मार्ग जो की अत्यंत संकरा हो गया है उसके चौड़ीकरण हेतु बाल चिकित्सालय की वर्तमान बाउंड्री वॉल को ही रोड़ डिवाइडर का स्वरुप देते हुए, कम से कम तोड़फोड़ करते हुए, वर्तमान मार्ग की चौड़ाई के बराबर की चौड़ाई परिसर के अंदर की ओर बढ़ाई जाना चाहिए |
2- इसी स्थान पर लगे पीपल के दो व एक अन्य वृक्ष को भी बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाये रोड डिवाइडर मानकर ऐसे ही रखा जा सकता है|
3- परिसर के अंदर बने रेड क्रॉस मेडिकल की दुकान व प्याऊ को भी MCH परिसर के अंदर बने नए उपहार गृह के पास स्थानांतरित किया जा सकता है |
4- ऐसा करने से बाल चिकित्सालय के मुख्य भवन की दीवार को ही शास्त्री नगर मार्ग वाली साइड पर बनी बॉउंड्री मान कर, GPO रोड़ की ओर आगे विस्तारित किया जा सकता है|
5- MCH का मुख्य द्वार ही बाल चिकित्सालय का मुख्य द्वार समझा जाना चाहिए। क्योंकि वहाँ पहले से ही व्यवस्थित पार्किंग और उपहार गृह, अधिक खुला परिसर व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं |
6- कुछ वर्षों पूर्व तक बाल चिकित्सालय एकमात्र था, लेकिन वर्तमान में इससे लगा MCH बन जाने से अब इन दोनों परिसरों को मिलाकर एक ही मानते हुए इनका एकमात्र प्रवेश मार्ग अर्थात MCH मेन गेट ही होना चाहिए| हाँ, साथ ही अत्यंत आवश्यक होने पर शास्त्री नगर वाले हिस्से में पैदल आने जाने हेतु छोटा गेट रखा जा सकता है|
7- ऐसा करने से शास्त्री नगर को जोड़ने वाले मार्ग को Two lane जैसा स्वरुप दिया जा सकेगा |
8- बाल चिकित्सालय के GPO रोड़ साइड बने वर्तमान बाहरी प्रवेश द्वार के स्थान पर एक छोटा प्रवेश द्वार, left की ओर shift किया जाकर इसकी शास्त्री नगर तिराहे से दूरी बढ़ाई जाने से कॉर्नर पर अक्सर होने वाली दुर्घटनाओं से नागरिकों को बचाया जा सकता है|
9- जिस प्रकार से SBI तिराहे पर फोरलेन की चौड़ाई बढ़ाने हेतु SBI ने सहयोग कर, शहर हित में एक उत्कृष्ठ, प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है उसी तरह संपूर्ण रतलाम शहर में, शहर को वास्तविकता में स्मार्ट बनाने वाले सुझावों पर ध्यान देना होगा |
10- शासन के द्वारा जनहित में किये जाने वाले इस निर्माण कार्य में व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए इन बिंदुओं पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए, यही अपेक्षा|
धन्यवाद
अनिल पेंडसे 9425103895
रतलाम
प्रतिलिपि
सभी संबंधित व्यक्ति, संस्थाऐं व समाचार पत्र|
Saturday, July 31, 2021
बाल चिकित्सालय में चल रहे निर्माण कार्य के संदर्भ में सुझाव
Labels:
यातायात के संबंध में सुझाव
Location:
Ratlam, Madhya Pradesh 457001, India
Wednesday, July 21, 2021
कबाड़ा नगर ( ट्रांसपोर्ट नगर जैसा ) बनाया जाकर
श्रीमान जिलाधीश महोदय,
रतलाम म. प्र.
21/07/21
निवेदन है कि संपूर्ण शहर भर में सड़क पर कबाड़ रखने की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए एक कबाड़ा नगर ( ट्रांसपोर्ट नगर जैसा ) बनाया जाकर, सभी संबंधित व्यापारियों को तत्काल, अनिवार्य रूप से स्थानांतरित कर देना चाहिए| इसके लिए भविष्य को देखते हुए शहर के बाहर की भूमि को चिन्हित कर संपूर्ण शहर को एक ही बार में कबाड़ मुक्त किया जा सकता है| जिससे नागरिकों के साथ साथ प्रशासनिक अमले को भी पुनः पुनः सिर उठाने वाली इस समस्या से आजीवन मुक्ति मिल सकेगी|
चूँकि कबाड़ को रखने के लिए कोई विशेष व्यवस्था की या किसी भी प्रकार के बड़े निर्माण की आवश्यकता नहीं होने से खुली जमीन आवंटित कर नगर निगम को तत्काल राजस्व की प्राप्ति के साथ, शहर की सुंदरता को स्थायी समाधान दिया जा सकेगा|
अनिल पेंडसे 9425103895
रतलाम
Labels:
यातायात के संबंध में सुझाव
Location:
Ratlam, Madhya Pradesh 457001, India
Thursday, August 29, 2019
फिट इंडिया अभियान:फोरलेन पर सायकल ट्रैक आवश्यक
फिट इंडिया अभियान का शुभारंभ कर आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने स्वास्थ्य से जुडे कई तथ्यों पर देश का ध्यानाकर्षण किया है। जिसमें जीवन शैली में बहुत साधारण परिवर्तन कर हम अपने आप को स्वस्थ बना सकते हैं इसी संदर्भ में अपने रतलाम को लेकर एक विचार आप सभी मित्रों के सामने रखना चाहता हूंं कि हमारे शहर के विद्यार्थी केवल अपने रहवासी क्षेत्र में कभी कभी सायकल चलाते दिख जाते हैं। लेकिन उन्हें सायकल से स्कूल कॉलेज जाते नहीं देख पाते हैं। रतलाम एक छोटा शहर है जिसमें विकास की बहुत सारी संभावनाएं अपेक्षित हैं। केवल पांच किलोमीटर की परिधी में बसे इस छोटे से शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने हेतु आसानी से सायकल का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन हमारे शहर की सड़कों पर सायकल ट्रैक का न होना हमारी संकीर्ण सोच प्रदर्शित करता है। इसी कारण हम सायकल चलाने को लेकर बच्चों को प्रोत्साहित नहीं कर पा रहे हैं। सैलाना बस स्टेंड से लेकर कान्वेंट स्कूल तिराहे तक बनने वाले फोरलेन पर आवश्यक रूप से सायकल ट्रैक होना चाहिये । आसपास की जमीनों को अधिग्रहित भी करना पडा तो भी यह राष्ट्र निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिये आवश्यक है।
लगभग प्रतिदिन स्कूली वाहनों में ठूंस कर भरे गये बच्चों के समाचार पत्रों में प्रकाशित फोटो या साक्षात दर्शन भी हमें सामान्य लगने लगे हैं। क्या सभी पालकों की इसके लिये अपने शहर के नेतृत्व से अपेक्षा रखना गलत है? लगभग हम सभी सायकल को प्राथमिकता देना चाहते हैं लेकिन अव्यवस्थित व अनियंत्रित यातायात हमारी सोच में बहुत बडी बाधा बन जाता है। इसलिये हम सायकल चलाने को प्रोत्साहित नहीं कर पा रहे हैं, हम सायकल चलाने से बच रहे हैं। सायकल ट्रैक का प्रावधान न होना इसका मूल कारण है। आप सभी इस पर विचार करें, पालक संघ या अन्य सामाजिक संस्थाएं संगठित होकर, शासन को अपने सुझाव अवश्य भेजें। विभिन्न स्कूलों में आने वाले बच्चों में कितने बच्चों को सायकल चलाना नहीं आती इन आंकडों पर भी अवश्य ध्यान दें।
इसके अतिरिक्त सायकल चलाने को लेकर जनमानस में व्याप्त हीन भावना को भी दूर करना होगा तथा सायकल चलाना यह सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय न होकर इसे स्वास्थ्य से जोड़ कर देखना चाहिये।
अनिल पेंडसे 9425103895
#FitIndiaMovement
लगभग प्रतिदिन स्कूली वाहनों में ठूंस कर भरे गये बच्चों के समाचार पत्रों में प्रकाशित फोटो या साक्षात दर्शन भी हमें सामान्य लगने लगे हैं। क्या सभी पालकों की इसके लिये अपने शहर के नेतृत्व से अपेक्षा रखना गलत है? लगभग हम सभी सायकल को प्राथमिकता देना चाहते हैं लेकिन अव्यवस्थित व अनियंत्रित यातायात हमारी सोच में बहुत बडी बाधा बन जाता है। इसलिये हम सायकल चलाने को प्रोत्साहित नहीं कर पा रहे हैं, हम सायकल चलाने से बच रहे हैं। सायकल ट्रैक का प्रावधान न होना इसका मूल कारण है। आप सभी इस पर विचार करें, पालक संघ या अन्य सामाजिक संस्थाएं संगठित होकर, शासन को अपने सुझाव अवश्य भेजें। विभिन्न स्कूलों में आने वाले बच्चों में कितने बच्चों को सायकल चलाना नहीं आती इन आंकडों पर भी अवश्य ध्यान दें।
इसके अतिरिक्त सायकल चलाने को लेकर जनमानस में व्याप्त हीन भावना को भी दूर करना होगा तथा सायकल चलाना यह सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय न होकर इसे स्वास्थ्य से जोड़ कर देखना चाहिये।
अनिल पेंडसे 9425103895
#FitIndiaMovement
Friday, February 8, 2019
SBI ने अपनी नाकामी को पिछले दरवाजे से किया स्वीकार
SBI ने अपनी नाकामी को पिछले दरवाजे से किया स्वीकार —
देश की सबसे बडी कही जाने वाली बैंक एसबीआय की हास्यास्पद पहल 'नईदिशा' के अंतर्गत कर्मचारियों पर बढते वर्कलोड़ की अनदेखी के चलते बैंक अपने कर्मचारियों को सप्ताह में एक दिन समय पर घर जाने की छूट दे रहा है अर्थात इसमें प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि बाकि के 5 दिन छूट नहीं है। बैंक प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने में पूर्ण रूप से अक्षम साबित होकर, अपनी नाकामी को छिपाने के लिये,उल्टा उसे ओर महिमामंडित करने के लिये 'नईदिशा' नाम से प्रोग्राम शुरू किया है जिसमें पत्नियां बॉस से शिकायत कर सकेंगी की उनका पति समय पर घर नहीं पहुंच रहा। अपने ही कर्मचारियों को मूर्ख बनाने की इस पहल को प्रबंधन की सकारात्मकता बताकर कर्मचारियों के साथ साथ ग्राहकों को भी धोखे में रखा जा रहा है। किसी भी शाखा के कर्मचारी अपने इसी वर्कलोड़ के चलते पत्नी के अलावा ग्राहकों पर भी अपनी झल्लाहट उतारते नज़र आ रहें हैं। कर्मचारी पती व उसकी पत्नि में नोंक झोंक कम करने के लिये पहले उसे कर्मचारी व ग्राहकों की होने वाली नोंक झोंक के कारणों पर ध्यान देना चाहिये। जिससे वास्ताविकता में 'नईदिशा' की ओर बढा जा सके।
उल्लेखनीय है कि ऑनलाईन बैंकिंग को प्रोत्साहित करने के एवज में पहले ही बैंकों में कर्मचारियों की कमी बनाकर रखी हुई है। उस पर बैंकों व शाखाओं का भी मर्जिंग किया जा रहा है। नई भर्तियां भी उंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। खर्चा कम करने के चक्कर में उटपटांग नीति नियम ग्राहकों पर थोपे जा रहें है। ऐसे टेक्नालॉजिकल—चेंजेस होने वाले महत्वपूर्ण समय में कर्मचारियों की संख्या कम नहीं करते हुए पहले ग्राहक हित की ओर भी ध्यान देना चाहिये।
हर बैंक की शाखा के बाहर फिक्स डिपाजिट के रेट डिस्पले जैसे एक ओर डिस्पले होना चाहिये, जिस पर आज उपस्थित कर्मचारी व आज तक के खातों की कुल संख्या का प्रतिदिन सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाना चाहिये। जिससे प्रत्येक ग्राहक को बैंक परिसर में अंदर आने से पहले ही पता चले कि इस शाखा विशेष में कितने सेविंग,करंट,लोन व अन्य प्रकार के खातों के ग्राहक हैं एवं कर्मचारी कितने दबाव में है। जिससे वह अपना खाता कम लोड़ वाली शाखा में ले जा सके। प्रत्येक कर्मचारी लगभग कितने खातों के कार्य को देख रहा है इसका अनुपात भी इसी डिस्पले पर प्रदर्शित किया जाकर ग्राहकों से सार्वजनिक रूप से साझा किया जाना चाहिये।
ऐसा करने से प्रबंधन अपने मूर्खतापूर्ण कार्यक्रमों को लागू कर उपहास का पात्र भी नहीं बनेगा व SBI वास्ताविकता में 'नईदिशा' का उदेश्य प्राप्त कर सकेगी।
देश की सबसे बडी कही जाने वाली बैंक एसबीआय की हास्यास्पद पहल 'नईदिशा' के अंतर्गत कर्मचारियों पर बढते वर्कलोड़ की अनदेखी के चलते बैंक अपने कर्मचारियों को सप्ताह में एक दिन समय पर घर जाने की छूट दे रहा है अर्थात इसमें प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि बाकि के 5 दिन छूट नहीं है। बैंक प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने में पूर्ण रूप से अक्षम साबित होकर, अपनी नाकामी को छिपाने के लिये,उल्टा उसे ओर महिमामंडित करने के लिये 'नईदिशा' नाम से प्रोग्राम शुरू किया है जिसमें पत्नियां बॉस से शिकायत कर सकेंगी की उनका पति समय पर घर नहीं पहुंच रहा। अपने ही कर्मचारियों को मूर्ख बनाने की इस पहल को प्रबंधन की सकारात्मकता बताकर कर्मचारियों के साथ साथ ग्राहकों को भी धोखे में रखा जा रहा है। किसी भी शाखा के कर्मचारी अपने इसी वर्कलोड़ के चलते पत्नी के अलावा ग्राहकों पर भी अपनी झल्लाहट उतारते नज़र आ रहें हैं। कर्मचारी पती व उसकी पत्नि में नोंक झोंक कम करने के लिये पहले उसे कर्मचारी व ग्राहकों की होने वाली नोंक झोंक के कारणों पर ध्यान देना चाहिये। जिससे वास्ताविकता में 'नईदिशा' की ओर बढा जा सके।
उल्लेखनीय है कि ऑनलाईन बैंकिंग को प्रोत्साहित करने के एवज में पहले ही बैंकों में कर्मचारियों की कमी बनाकर रखी हुई है। उस पर बैंकों व शाखाओं का भी मर्जिंग किया जा रहा है। नई भर्तियां भी उंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। खर्चा कम करने के चक्कर में उटपटांग नीति नियम ग्राहकों पर थोपे जा रहें है। ऐसे टेक्नालॉजिकल—चेंजेस होने वाले महत्वपूर्ण समय में कर्मचारियों की संख्या कम नहीं करते हुए पहले ग्राहक हित की ओर भी ध्यान देना चाहिये।
हर बैंक की शाखा के बाहर फिक्स डिपाजिट के रेट डिस्पले जैसे एक ओर डिस्पले होना चाहिये, जिस पर आज उपस्थित कर्मचारी व आज तक के खातों की कुल संख्या का प्रतिदिन सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाना चाहिये। जिससे प्रत्येक ग्राहक को बैंक परिसर में अंदर आने से पहले ही पता चले कि इस शाखा विशेष में कितने सेविंग,करंट,लोन व अन्य प्रकार के खातों के ग्राहक हैं एवं कर्मचारी कितने दबाव में है। जिससे वह अपना खाता कम लोड़ वाली शाखा में ले जा सके। प्रत्येक कर्मचारी लगभग कितने खातों के कार्य को देख रहा है इसका अनुपात भी इसी डिस्पले पर प्रदर्शित किया जाकर ग्राहकों से सार्वजनिक रूप से साझा किया जाना चाहिये।
ऐसा करने से प्रबंधन अपने मूर्खतापूर्ण कार्यक्रमों को लागू कर उपहास का पात्र भी नहीं बनेगा व SBI वास्ताविकता में 'नईदिशा' का उदेश्य प्राप्त कर सकेगी।
Thursday, January 17, 2019
रतलाम — काटजू नगर के नागरिकों के लिये विशेष हेलिकॉप्टर सेवा प्रारंभ की जाये।
काटजू नगर के नागरिकों को शहर से जोडने वाले मुख्य मार्ग अर्थात महर्षि वेद व्यास कॉलोनी के मेन रोड़ को तत्काल प्रभाव से सर्पिल आकृति पगडंडी घोषित किया जाना चाहिये। हाट की चौकी वाले छोर से शुरू होकर काटजू नगर के मुख्य मार्ग को जोडने वाले महर्षि वेद व्यास कॉलोनी की मुख्य गली को पगडंडी घोषित किये जाने से प्रशासन, यातायात संबंधी अपने समस्त उत्तरदायित्वों से आसानी से मुक्ति प्राप्त करते हुए भरपूर कुंभकर्णी नींद ले सकेगा। साथ ही *सभी प्रकार के अतिक्रमणकारियों को भयमुक्त करते हुए उनका सार्वजनिक सम्मान व विशेष प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किये जाने चाहिये*। जिससे इस तथाकथित मेन रोड़ पर जो भी थोडी बहुत शेष जगह बाकी है उसे भी खत्म करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सके।
साथ ही काटजू नगर के नागरिकों को बाजार क्षेत्र में आने जाने के लिये विशेष हेलिकॉप्टर सेवा की भी शुरूआत की जाना चाहिये। जिससे सीधे ही आज़ाद चौक के मध्य में उतारा जा सके। ऐसा करने से रतलाम नगर निगम का नाम विश्व की सर्वश्रेष्ठ नगर निगम के रूप में स्थापित होकर, आय प्राप्ती का नया साधन भी उपलब्ध हो सकेगा। इसी के साथ साथ काटजू नगर से सैलाना बस स्टेंड, दो बत्ती की ओर जाने के लिये भी इसी प्रकार की व्यवस्था की ओर कदम बढाये जा सकेंगे।
*निगम की व्यवस्थाओं से अतिउत्साहित एक नागरिक*
अनिल पेंडसे 9425103895
साथ ही काटजू नगर के नागरिकों को बाजार क्षेत्र में आने जाने के लिये विशेष हेलिकॉप्टर सेवा की भी शुरूआत की जाना चाहिये। जिससे सीधे ही आज़ाद चौक के मध्य में उतारा जा सके। ऐसा करने से रतलाम नगर निगम का नाम विश्व की सर्वश्रेष्ठ नगर निगम के रूप में स्थापित होकर, आय प्राप्ती का नया साधन भी उपलब्ध हो सकेगा। इसी के साथ साथ काटजू नगर से सैलाना बस स्टेंड, दो बत्ती की ओर जाने के लिये भी इसी प्रकार की व्यवस्था की ओर कदम बढाये जा सकेंगे।
*निगम की व्यवस्थाओं से अतिउत्साहित एक नागरिक*
अनिल पेंडसे 9425103895
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मेरी बात,
यातायात के संबंध में सुझाव
Monday, December 10, 2018
सैलाना रोड़ के चेतक ब्रिज पर डिवायडर लगाना प्रशंसनीय प्रयास
रतलाम शहर की यातायात व्यवस्था में लगातार सुधार कार्य देखने को मिल रहा है। इसी संदर्भ में सैलाना बस स्टेंड चौराहे से चेतक ब्रिज के दूसरे छोर तक डिवायडर लगाये गये हैं इससे यातायात एकदम व्यवस्थित हो गया है। राम मंदिर वाले छोर से सैलाना बस स्टेंड वाले छोर की ओर आने वाले वाहनों की गति उतरते समय स्वाभाविक रूप से अधिक रहती है ऐसे में काटजू नगर से बाहर जाने वाले नागरिकों को अखण्ड ज्ञान आश्रम वाली साईड से निकलना चाहिये व काटजू नगर में प्रवेश के इच्छुक नागरिकों को सज्जन किराना वाली साईड़ से आना होगा। यह यातायात के नियमों के अनुकूल भी है।
उल्लेखनीय है कि इस प्रकार के लोहे के डिवायडर केवल प्रयोगात्मक आधार हेतु ही उपयोग में लिये जाते हैं जिससे कुछ दिनों तक नागरिकों को होने वाली सुविधा/असुविधा को प्रत्यक्ष रूप से समझा जा सके। इस प्रयोग के सकारात्मक परिणामों के पश्चात इसे स्थायी डिवायडर में भी परिवर्तित किया जा सकेगा। जिससे ओव्हरब्रिज पर होने वाली यातायात दुर्घटनाओं पर निश्चित ही अंकुश लगाया जा सकेगा। इसी संदर्भ में काटजू नगर के नागरिकों को सैलाना बस स्टेंड से सीधे जोडने के लिये पूर्व में दिये गये सुझावों पर भी ध्यान देना होगा।
Sunday, September 2, 2018
रतलाम — नई यातायात व्यवस्था के विरोध में व्यापारियों व स्कूल प्रबंधन के कमजोर तर्क(02/09/2018)
रतलाम — नई यातायात व्यवस्था के विरोध में व्यापारियों व स्कूल प्रबंधन के कमजोर तर्क(02/09/2018)
रतलाम शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रयास चल रहे हैं इन्हीं नये प्रयासों में सैलाना बस स्टेंड से लोकेन्द्र सिनेमा व शहर सराय से गायत्री सिनेमा रोड़ को वन वे बनाने का विरोध आज के समाचार पत्रों में दिखाई दे रहा है। इसमें बताया गया है कि व्यापार सिर्फ 10 प्रतिशत ही रह गया है। वन वे होने से व्यापार इतना कम हो जाना गले नहीं उतरता। व्यवसाय करने के साथ—साथ, शहर की नई यातायात व्यवस्थाओं में सहयोग देना भी व्यापारिओं/नागरिकों का कर्तव्य है। हमेशा देखने में आता है कि अव्यवस्थाओं का दोष पूर्णत: प्रशासन को दिया जाता है। अब जब प्रशासन यातायात व्यवस्था सुधारने के लिये कुछ नई व्यवस्थाएं लागू कर रहा है तो इस प्रकार का अतार्किक विरोध रतलाम को पुन: वहीं ले जायेगा जहां हम सालों पहले थे।
इसी प्रकार से यातायात व्यवस्था में सहयोग के स्थान पर स्कूलों के द्वारा हाथ झटक कला का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। अगर आपके परिसर में हजारों बच्चे आ रहे हैं तो उनकी व्यवस्था स्कूल परिसर के अंदर व बाहर करना भी स्कूल प्रबंधन का ही दायित्व है। इस प्रकार का लचर तर्क नहीं चल सकता कि ''आॅटो बच्चों के परिजन निजी रूप से करके भेजते हैं इसमें स्कूल वालों का कोई लेना देना नहीं है''
ऐसे तो मैरिज गार्डन वाले, शॉपिंग मॉल वाले, अन्य व्यापारी सभी अपने हाथ झटक लेंगे कि ''ग्राहक तो निजी वाहन से आये हैं। हम क्या करें?'' ऐसा असहयोगात्मक व्यवहार स्वीकार्य नहीं होना चाहिये। विशेषकर शहर के आंतरिक हिस्सों में चल रहे स्कूलों को आने वाले वाहनों जैसे आॅटो को तो परिसर के अंदर स्थान देना ही होगा। प्रशासन को पूर्ण सख्ती से इस प्रकार के रवैय्ये से निपटना चाहिये।
गुजराती समाज स्कूल के प्रबंधन की प्रशंसा की जानी चाहिये कि उन्होंने संबंधित वाहनों को अपने परिसर में व्यस्थित पार्किंग देकर बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
अनिल पेंडसे,रतलाम 9425103895
Anil.Pendse.Rtm@gmail.com
रतलाम शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रयास चल रहे हैं इन्हीं नये प्रयासों में सैलाना बस स्टेंड से लोकेन्द्र सिनेमा व शहर सराय से गायत्री सिनेमा रोड़ को वन वे बनाने का विरोध आज के समाचार पत्रों में दिखाई दे रहा है। इसमें बताया गया है कि व्यापार सिर्फ 10 प्रतिशत ही रह गया है। वन वे होने से व्यापार इतना कम हो जाना गले नहीं उतरता। व्यवसाय करने के साथ—साथ, शहर की नई यातायात व्यवस्थाओं में सहयोग देना भी व्यापारिओं/नागरिकों का कर्तव्य है। हमेशा देखने में आता है कि अव्यवस्थाओं का दोष पूर्णत: प्रशासन को दिया जाता है। अब जब प्रशासन यातायात व्यवस्था सुधारने के लिये कुछ नई व्यवस्थाएं लागू कर रहा है तो इस प्रकार का अतार्किक विरोध रतलाम को पुन: वहीं ले जायेगा जहां हम सालों पहले थे।
इसी प्रकार से यातायात व्यवस्था में सहयोग के स्थान पर स्कूलों के द्वारा हाथ झटक कला का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। अगर आपके परिसर में हजारों बच्चे आ रहे हैं तो उनकी व्यवस्था स्कूल परिसर के अंदर व बाहर करना भी स्कूल प्रबंधन का ही दायित्व है। इस प्रकार का लचर तर्क नहीं चल सकता कि ''आॅटो बच्चों के परिजन निजी रूप से करके भेजते हैं इसमें स्कूल वालों का कोई लेना देना नहीं है''
ऐसे तो मैरिज गार्डन वाले, शॉपिंग मॉल वाले, अन्य व्यापारी सभी अपने हाथ झटक लेंगे कि ''ग्राहक तो निजी वाहन से आये हैं। हम क्या करें?'' ऐसा असहयोगात्मक व्यवहार स्वीकार्य नहीं होना चाहिये। विशेषकर शहर के आंतरिक हिस्सों में चल रहे स्कूलों को आने वाले वाहनों जैसे आॅटो को तो परिसर के अंदर स्थान देना ही होगा। प्रशासन को पूर्ण सख्ती से इस प्रकार के रवैय्ये से निपटना चाहिये।
गुजराती समाज स्कूल के प्रबंधन की प्रशंसा की जानी चाहिये कि उन्होंने संबंधित वाहनों को अपने परिसर में व्यस्थित पार्किंग देकर बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
अनिल पेंडसे,रतलाम 9425103895
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