SBI ने अपनी नाकामी को पिछले दरवाजे से किया स्वीकार —
देश की सबसे बडी कही जाने वाली बैंक एसबीआय की हास्यास्पद पहल 'नईदिशा' के अंतर्गत कर्मचारियों पर बढते वर्कलोड़ की अनदेखी के चलते बैंक अपने कर्मचारियों को सप्ताह में एक दिन समय पर घर जाने की छूट दे रहा है अर्थात इसमें प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि बाकि के 5 दिन छूट नहीं है। बैंक प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने में पूर्ण रूप से अक्षम साबित होकर, अपनी नाकामी को छिपाने के लिये,उल्टा उसे ओर महिमामंडित करने के लिये 'नईदिशा' नाम से प्रोग्राम शुरू किया है जिसमें पत्नियां बॉस से शिकायत कर सकेंगी की उनका पति समय पर घर नहीं पहुंच रहा। अपने ही कर्मचारियों को मूर्ख बनाने की इस पहल को प्रबंधन की सकारात्मकता बताकर कर्मचारियों के साथ साथ ग्राहकों को भी धोखे में रखा जा रहा है। किसी भी शाखा के कर्मचारी अपने इसी वर्कलोड़ के चलते पत्नी के अलावा ग्राहकों पर भी अपनी झल्लाहट उतारते नज़र आ रहें हैं। कर्मचारी पती व उसकी पत्नि में नोंक झोंक कम करने के लिये पहले उसे कर्मचारी व ग्राहकों की होने वाली नोंक झोंक के कारणों पर ध्यान देना चाहिये। जिससे वास्ताविकता में 'नईदिशा' की ओर बढा जा सके।
उल्लेखनीय है कि ऑनलाईन बैंकिंग को प्रोत्साहित करने के एवज में पहले ही बैंकों में कर्मचारियों की कमी बनाकर रखी हुई है। उस पर बैंकों व शाखाओं का भी मर्जिंग किया जा रहा है। नई भर्तियां भी उंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। खर्चा कम करने के चक्कर में उटपटांग नीति नियम ग्राहकों पर थोपे जा रहें है। ऐसे टेक्नालॉजिकल—चेंजेस होने वाले महत्वपूर्ण समय में कर्मचारियों की संख्या कम नहीं करते हुए पहले ग्राहक हित की ओर भी ध्यान देना चाहिये।
हर बैंक की शाखा के बाहर फिक्स डिपाजिट के रेट डिस्पले जैसे एक ओर डिस्पले होना चाहिये, जिस पर आज उपस्थित कर्मचारी व आज तक के खातों की कुल संख्या का प्रतिदिन सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाना चाहिये। जिससे प्रत्येक ग्राहक को बैंक परिसर में अंदर आने से पहले ही पता चले कि इस शाखा विशेष में कितने सेविंग,करंट,लोन व अन्य प्रकार के खातों के ग्राहक हैं एवं कर्मचारी कितने दबाव में है। जिससे वह अपना खाता कम लोड़ वाली शाखा में ले जा सके। प्रत्येक कर्मचारी लगभग कितने खातों के कार्य को देख रहा है इसका अनुपात भी इसी डिस्पले पर प्रदर्शित किया जाकर ग्राहकों से सार्वजनिक रूप से साझा किया जाना चाहिये।
ऐसा करने से प्रबंधन अपने मूर्खतापूर्ण कार्यक्रमों को लागू कर उपहास का पात्र भी नहीं बनेगा व SBI वास्ताविकता में 'नईदिशा' का उदेश्य प्राप्त कर सकेगी।
देश की सबसे बडी कही जाने वाली बैंक एसबीआय की हास्यास्पद पहल 'नईदिशा' के अंतर्गत कर्मचारियों पर बढते वर्कलोड़ की अनदेखी के चलते बैंक अपने कर्मचारियों को सप्ताह में एक दिन समय पर घर जाने की छूट दे रहा है अर्थात इसमें प्रबंधन ने स्वीकार किया है कि बाकि के 5 दिन छूट नहीं है। बैंक प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखने में पूर्ण रूप से अक्षम साबित होकर, अपनी नाकामी को छिपाने के लिये,उल्टा उसे ओर महिमामंडित करने के लिये 'नईदिशा' नाम से प्रोग्राम शुरू किया है जिसमें पत्नियां बॉस से शिकायत कर सकेंगी की उनका पति समय पर घर नहीं पहुंच रहा। अपने ही कर्मचारियों को मूर्ख बनाने की इस पहल को प्रबंधन की सकारात्मकता बताकर कर्मचारियों के साथ साथ ग्राहकों को भी धोखे में रखा जा रहा है। किसी भी शाखा के कर्मचारी अपने इसी वर्कलोड़ के चलते पत्नी के अलावा ग्राहकों पर भी अपनी झल्लाहट उतारते नज़र आ रहें हैं। कर्मचारी पती व उसकी पत्नि में नोंक झोंक कम करने के लिये पहले उसे कर्मचारी व ग्राहकों की होने वाली नोंक झोंक के कारणों पर ध्यान देना चाहिये। जिससे वास्ताविकता में 'नईदिशा' की ओर बढा जा सके।
उल्लेखनीय है कि ऑनलाईन बैंकिंग को प्रोत्साहित करने के एवज में पहले ही बैंकों में कर्मचारियों की कमी बनाकर रखी हुई है। उस पर बैंकों व शाखाओं का भी मर्जिंग किया जा रहा है। नई भर्तियां भी उंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। खर्चा कम करने के चक्कर में उटपटांग नीति नियम ग्राहकों पर थोपे जा रहें है। ऐसे टेक्नालॉजिकल—चेंजेस होने वाले महत्वपूर्ण समय में कर्मचारियों की संख्या कम नहीं करते हुए पहले ग्राहक हित की ओर भी ध्यान देना चाहिये।
हर बैंक की शाखा के बाहर फिक्स डिपाजिट के रेट डिस्पले जैसे एक ओर डिस्पले होना चाहिये, जिस पर आज उपस्थित कर्मचारी व आज तक के खातों की कुल संख्या का प्रतिदिन सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाना चाहिये। जिससे प्रत्येक ग्राहक को बैंक परिसर में अंदर आने से पहले ही पता चले कि इस शाखा विशेष में कितने सेविंग,करंट,लोन व अन्य प्रकार के खातों के ग्राहक हैं एवं कर्मचारी कितने दबाव में है। जिससे वह अपना खाता कम लोड़ वाली शाखा में ले जा सके। प्रत्येक कर्मचारी लगभग कितने खातों के कार्य को देख रहा है इसका अनुपात भी इसी डिस्पले पर प्रदर्शित किया जाकर ग्राहकों से सार्वजनिक रूप से साझा किया जाना चाहिये।
ऐसा करने से प्रबंधन अपने मूर्खतापूर्ण कार्यक्रमों को लागू कर उपहास का पात्र भी नहीं बनेगा व SBI वास्ताविकता में 'नईदिशा' का उदेश्य प्राप्त कर सकेगी।
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